भारत बन गया दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
प्रकाशित: 27 मई, 2025
हाल ही में, भारत ने जापान को पछाड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत की जीडीपी अब $4.19 ट्रिलियन (लगभग ₹3,30,00,000 करोड़) तक पहुंच गई है।
यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता, ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘पीएलआई’ जैसे योजनाओं की सफलता का परिणाम है।
ड्रष्टि आईएएस के अनुसार, इन योजनाओं ने भारत को निवेशकों के लिए आकर्षक बना दिया है।
भारत की आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारण
- मजबूत घरेलू खपत: भारत की विशाल उपभोक्ता बाजार ने अर्थव्यवस्था को गति दी है।
- विदेशी निवेश में वृद्धि: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी योजनाओं ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है।
- डिजिटल परिवर्तन: डिजिटल इंडिया और आधार जैसी पहलों ने सरकारी सेवाओं को सुलभ बनाया है।
- उद्यमिता का विकास: युवा उद्यमियों ने नए व्यवसायों की शुरुआत की है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
समाज पर इसका प्रभाव
इस आर्थिक वृद्धि का सीधा प्रभाव आम नागरिकों की जिंदगी पर पड़ा है। रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं, जिससे बेरोजगारी दर में कमी आई है।
ड्रष्टि आईएएस के अनुसार, ‘मेक इन इंडिया’ योजना ने कई क्षेत्रों में रोजगार सृजन किया है।
इसके अतिरिक्त, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं जैसे ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’, ‘उज्ज्वला योजना’ और ‘स्वच्छ भारत मिशन’ ने नागरिकों की जीवन गुणवत्ता में सुधार किया है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालांकि भारत ने महत्वपूर्ण आर्थिक मील का पत्थर हासिल किया है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं:
- आय असमानता: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय में अंतर बना हुआ है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: इन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है ताकि सभी नागरिकों को समान अवसर मिल सकें।
- पर्यावरणीय संकट: जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याएँ गंभीर हो रही हैं।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार को समावेशी नीतियाँ अपनानी होंगी, जिससे सभी वर्गों का समग्र विकास हो सके।
भारत की भविष्यवाणी
यदि वर्तमान नीतियाँ और योजनाएँ प्रभावी रूप से लागू होती हैं, तो भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर हो सकता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत की बढ़ती जीडीपी और युवा जनसंख्या इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक हो सकती है।